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दिल्ली से दौलताबाद में राजधानी का स्थानांतरण (मुहम्मद-बिन-तुगलक द्वारा)

सिंधु घाटी की सभ्यता को व्यापार के केंद्र के नाम से भी जाना जाता है।

भारतीय इतिहास का कालक्रम के बारे में नीचे जानें :

पू. की दूसरी शताब्दी में पतंजलि ने अष्टाध्यायी पर महाभाष्य लिखा। यास्क ने निरुक्त (ई.पू. पाँचवीं शताब्दी) की रचना की, जिसमें वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है। वेदों में अनेक छंदों का प्रयोग किया गया है।

) में सामंती अर्थव्यवस्था विद्यमान थी।

दिल्ली में प्रसिद्ध लाल किला का निर्माण शाहजहाँ ने अपने रंग महल, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़वासस्व के साथ करवाया था।

प्रतीच्य चालुक्य राज्य (९७३–११८९ ईसवी)

चिश्तिया सूफी सम्प्रदाय एवं ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती

उत्तर पश्चिमी भारत में ईरानी शासक, डेरियस का प्रवेश

सातवाहन वंश: जानिए सातवाहन वंश के इतिहास और इसके योगदान से जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में

ग्रंथ परिचय भारत में साम्प्रदायिकता की समस्या एवं हिन्दू प्रतिरोध

माना जा सकता है। इस प्रसिद्ध ग्रंथ में कश्मीर के नरेशों से संबंधित ऐतिहासिक तथ्यों का निष्पक्ष विवरण देने का प्रयास किया गया है। इसमें क्रमबद्धता का पूरी तरह निर्वाह किया गया है, किंतु सातवीं शताब्दी ई. के पूर्व के इतिहास से संबद्ध विवरण पूर्णतया विश्वसनीय नहीं हैं।

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परमार राजवंश – परमार या पँवार मध्यकालीन भारत का एक क्षत्रिय राजवंश था। इस more info राजवंश का अधिकार धार-मालवा-उज्जयिनी-आबू पर्वत और सिन्धु के निकट अमरकोट आदि राज्यों तक था। लगभग सम्पूर्ण पश्चमी भारत क्षेत्र में परमार वंश का साम्राज्य था। ये ८वीं शताब्दी से १४वीं शताब्दी तक शासन करते रहे। मूल शब्द प्रमार के क्षेत्र के अनुसार अलग अलग अपभ्रंश है जैसे पोवार, पंवार, पँवार, पवार और परमार।

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